न बंगला, न सैलरी! तो आखिर अरविंद केजरीवाल को मिलेगी कितनी मोटी पेंशन? जानिए दिल्ली के पूर्व CM के लिए क्या हैं खास प्रावधान

Former CM of Delhi (दिल्ली के पूर्व सीएम) : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय ED की हिरासत में हैं और उनकी गैर-मौजूदगी में दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी अन्य नेताओं पर आ गई है। जब कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री या अन्य बड़े पदों पर होता है, तो उसकी सैलरी और पेंशन का मुद्दा लोगों के लिए हमेशा दिलचस्प होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद छोड़ते हैं तो उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी और क्या कोई अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी?

आइए जानते हैं कि दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली पेंशन और अन्य सरकारी सुविधाओं के क्या नियम हैं और क्या अरविंद केजरीवाल को भी इनका लाभ मिलेगा।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री को कितनी पेंशन मिलती है?

हर राज्य का पेंशन और अन्य सुविधाओं को लेकर अपना अलग नियम होता है। दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्रियों को पेंशन मिलने के लिए कुछ शर्तें होती हैं, जैसे:

  • दिल्ली में अगर कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहा है, तो उसे 50,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है।
  • अगर वह व्यक्ति दो या उससे ज्यादा बार मुख्यमंत्री रह चुका है, तो हर कार्यकाल के लिए 10,000 रुपये प्रति माह अतिरिक्त जोड़े जाते हैं।
  • इसके अलावा, मुख्यमंत्री को कुछ और सरकारी सुविधाएं भी दी जाती हैं, जैसे मेडिकल सुविधाएं और यात्रा भत्ता।

अगर अरविंद केजरीवाल को यह पेंशन मिलती है, तो उन्हें कम से कम 50,000 से 70,000 रुपये प्रति माह मिल सकते हैं।

क्या अरविंद केजरीवाल को बंगला और अन्य सुविधाएं मिलेंगी?

अक्सर देखा जाता है कि कई राज्यों में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला, सुरक्षा गार्ड, सरकारी गाड़ी और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन दिल्ली में इसको लेकर बहुत सख्त नियम बनाए गए हैं।

दिल्ली सरकार के नियमों के मुताबिक:

  • पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला नहीं दिया जाता।
  • सिर्फ 6 महीने तक रहने के लिए सरकारी घर मिलता है, उसके बाद उसे खाली करना पड़ता है।
  • सरकारी गाड़ी और ड्राइवर की सुविधा भी नहीं दी जाती।
  • सुरक्षा के लिए स्पेशल पुलिस प्रोटेक्शन दिया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर निर्भर करता है।

इसका मतलब है कि अरविंद केजरीवाल को अगर वह मुख्यमंत्री पद छोड़ते हैं, तो उन्हें सिर्फ कुछ ही महीनों तक सरकारी बंगले का लाभ मिलेगा, लेकिन जीवनभर इसके लिए पात्र नहीं होंगे।

क्या केजरीवाल को MLA की पेंशन भी मिलेगी?

अरविंद केजरीवाल सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि दिल्ली विधानसभा के सदस्य (MLA) भी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उन्हें MLA की पेंशन भी मिलेगी?

दिल्ली सरकार के नियमों के अनुसार:

  • पूर्व विधायकों को 30,000 रुपये प्रति माह की पेंशन मिलती है।
  • अगर कोई व्यक्ति 5 साल से ज्यादा विधायक रह चुका है, तो हर साल के लिए 2,000 रुपये अतिरिक्त जोड़े जाते हैं।
  • अधिकतम MLA पेंशन 50,000 रुपये प्रति माह तक हो सकती है।

अगर केजरीवाल भविष्य में MLA पद छोड़ते हैं, तो उन्हें यह पेंशन भी मिल सकती है।

अन्य राज्यों में पूर्व मुख्यमंत्रियों को क्या सुविधाएं मिलती हैं?

दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए पेंशन और सुविधाओं को लेकर कड़े नियम हैं, लेकिन कई अन्य राज्यों में यह उतना सख्त नहीं है।

विभिन्न राज्यों में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सुविधाएं:

राज्यपेंशन (रुपये/माह)बंगलागाड़ीअन्य सुविधाएं
उत्तर प्रदेश50,000+हांहांआजीवन सिक्योरिटी
बिहार35,000+हांहांसरकारी फोन और स्टाफ
महाराष्ट्र50,000+हांहांमेडिकल और यात्रा भत्ता
दिल्ली50,000+नहींनहींसिर्फ 6 महीने बंगला

इस तालिका से साफ है कि दिल्ली में पेंशन तो मिलती है, लेकिन अन्य राज्यों की तुलना में सुविधाएं काफी सीमित हैं।

क्या आम आदमी पार्टी का रुख इस पेंशन पर अलग रहा है?

आम आदमी पार्टी हमेशा से VIP कल्चर के खिलाफ रही है। खुद अरविंद केजरीवाल कई बार यह कह चुके हैं कि सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले बंगले और गाड़ियों पर रोक लगा दी।

हालांकि, सवाल यह है कि क्या अरविंद केजरीवाल खुद इस पेंशन को स्वीकार करेंगे? अगर वह इसे लेने से इनकार करते हैं, तो यह उनकी “VIP कल्चर के खिलाफ” छवि को और मजबूत करेगा।

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क्या पेंशन जरूरी है या इसे खत्म किया जाना चाहिए?

पेंशन को लेकर हमेशा से विवाद होता रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि जब एक मुख्यमंत्री या विधायक अपना कार्यकाल पूरा कर लेता है, तो उसे पेंशन मिलनी चाहिए क्योंकि यह उसका हक है।

लेकिन दूसरी ओर, कई लोग यह भी मानते हैं कि जब एक व्यक्ति पहले से ही अच्छी कमाई कर चुका हो, तो उसे पेंशन लेने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

पेंशन के पक्ष में तर्क:

  • मुख्यमंत्री या विधायक जनता की सेवा करता है, इसलिए उसे पेंशन मिलनी चाहिए।
  • सभी सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिलती है, तो नेताओं को भी मिलनी चाहिए।
  • यह उनके भविष्य की वित्तीय सुरक्षा के लिए जरूरी है।

पेंशन के खिलाफ तर्क:

  • कई पूर्व मुख्यमंत्री करोड़ों की संपत्ति के मालिक होते हैं, उन्हें पेंशन की जरूरत नहीं होती।
  • जनता के पैसे को ऐसे अनावश्यक खर्चों में नहीं लगाना चाहिए।
  • कई देशों में पूर्व नेताओं को पेंशन नहीं दी जाती।

केजरीवाल को कितनी पेंशन मिलेगी?

अगर अरविंद केजरीवाल भविष्य में मुख्यमंत्री और विधायक पद दोनों छोड़ते हैं, तो उन्हें:

  • 50,000 रुपये मुख्यमंत्री पेंशन
  • 30,000-50,000 रुपये MLA पेंशन

यानि कि कुल मिलाकर 80,000 से 1,00,000 रुपये प्रति माह तक की पेंशन मिल सकती है। हालांकि, यह पूरी तरह से उनकी पसंद पर निर्भर करता है कि वह इस पेंशन को स्वीकार करेंगे या नहीं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या अरविंद केजरीवाल अपने “VIP कल्चर के खिलाफ” वाले स्टैंड पर कायम रहते हैं या फिर अन्य नेताओं की तरह इस पेंशन का लाभ उठाते हैं!

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